ईरान ने पाकिस्तान, सीरिया और इराक पर हमला क्यों किया ? no.1 best news in hindi

ईरान ( ई. ) ने पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान, सीरिया और इराक पर कई हमले किए हैं, जिससे इन देशों में तनाव बढ़ गया है। का दावा है कि ये हमले उसके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक थे, क्योंकि इन देशों में उसके विरोधी समूहों ने उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। लेकिन इन देशों ने ई. के हमलों को अवैध और असहिष्णु बताया है, और उसे अपनी घुसपैठ और हस्तक्षेप को बंद करने के लिए कहा है।

ई. के हमलों के पीछे की वजह क्या है? इसका जवाब जानने के लिए हमें इन देशों के बीच के राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को समझना होगा।

  • पाक: . और पाक के बीच के संबंध कभी भी बहुत अच्छे नहीं रहे हैं, क्योंकि दोनों देश इस्लाम के अलग-अलग शाखाओं के हैं। ई. शिया मुस्लिम देश है, जबकि पाक सुन्नी मुस्लिम देश है। दोनों देशों में अपनी अलग-अलग रुचियां और मित्रताएं हैं, जो उन्हें आपस में टकराते हैं। ई. को पाक का सहयोगी समूह तालिबान से नफरत है, जो शिया मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करता है। पाक को ई. का सहयोगी समूह जश-ए-मोहम्मद से नफरत है, जो पाक में आतंकवादी हमले करता है।

ई. ने हाल ही में पाक के बालूचिस्तान प्रांत में तालिबान के ठिकानों पर हमले किए हैं, जिससे पाक को आहत हुआ है। ई. का कहना है कि ये हमले उसके शिया मुस्लिमों की सुरक्षा के लिए थे, जो तालिबान के शिकार हो रहे हैं। पाक का कहना है कि ये हमले उसकी संप्रभुता और अक्षुण्णता का उल्लंघन हैं, और उसने ई. को इसके लिए निंदा की है।

  • सीरिया: ई. और सीरिया के बीच के संबंध बहुत गहरे हैं, क्योंकि दोनों देश शिया मुस्लिम देश हैं, और दोनों देश इस्राइल और सौदी अरब के खिलाफ एक साथ लड़ते हैं। . ने सीरिया के राष्ट्रपति बशार अल-असद को उसके खिलाफ चल रहे नागरिक युद्ध में समर्थन दिया है, और उसके लिए अपने सैनिक, हथियार और पैसे भेजे हैं। ई. का मकसद है कि वह सीरिया को अपना एक महत्वपूर्ण साथी और मित्र बनाए रखे, जिससे वह अपने प्रभाव को मध्य पूर्व में बढ़ा सके।

. ने हाल ही में सीरिया के दायरा-ए-जोर और दायरा-ए-ज़ौर के इलाकों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों पर हमले किए हैं, जिससे आईएस को बड़ा झटका लगा है। ई. का कहना है कि ये हमले थे, जिससे वह अपने प्रभाव को मध्य पूर्व में बढ़ा सके। 

ई. ने हाल ही में सीरिया के दायरा-ए-जोर और दायरा-ए-ज़ौर के इलाकों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों पर हमले किए हैं, जिससे आईएस को बड़ा झटका लगा है। ई. का कहना है कि ये हमले उसके शहीदों की याद में किए गए हैं, जो आईएस के हाथों मारे गए थे। सीरिया की सरकार ने भी . के हमलों को समर्थन दिया है, और कहा है कि ये हमले आईएस के खिलाफ लड़ने वाले गठबंधन के हिस्से हैं।

  • इराक: ई. और इराक के बीच के संबंध भी बहुत उलझे हुए हैं, क्योंकि दोनों देश एक दूसरे के साथ युद्ध भी कर चुके हैं, और एक दूसरे के साथ मिलकर भी लड़े हैं। ई. ने इराक के शिया मुस्लिमों को उनके खिलाफ चल रहे नागरिक युद्ध में समर्थन दिया है, और उनके लिए अपने सैनिक, हथियार और पैसे भेजे हैं। ई. का मकसद है कि वह इराक को अपना एक अन्य महत्वपूर्ण साथी और मित्र बनाए रखे, जिससे वह अपने प्रभाव को मध्य पूर्व में बढ़ा सके।

ई. ने हाल ही में इराक के उत्तरी शहर इरबील में एक इस्राइली “जासूसी मुख्यालय” पर हमला किया है, जो कि अमेरिकी कॉन्सुलेट के पास है। ई. का कहना है कि ये हमला उसके खिलाफ चल रहे इस्राइली और अमेरिकी साजिशों का जवाब है, जिनमें उसके परमाणु कार्यक्रम और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इराक की सरकार ने ई. के हमले को अवैध और अस्वीकार्य बताया है, और कहा है कि ये हमला उसकी संप्रभुता और अक्षुण्णता का उल्लंघन है, और उसने ई. को इसके लिए निंदा की है।

ई. के हमलों का प्रभाव क्या होगा? इसका जवाब जानने के लिए हमें इन देशों के बीच के मौजूदा हालात को देखना होगा।

  • पाक : ई. के हमलों से पाक को बहुत नुकसान हुआ है, क्योंकि उसके कई नागरिक मारे गए हैं, और उसका आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला समूह जश-ए-मोहम्मद भी नष्ट हो गया है। पाक को अब अपनी सीमा को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाने होंगे, और अपने आतंकवादी समूहों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करनी होगी। पाक को अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए भी प्रयास करने होंगे, और अपने अंतरराष्ट्रीय मित्रों के साथ अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए काम करने होंगे।
  • सीरिया: ई. के हमलों से सीरिया को कुछ फायदा हुआ है, क्योंकि उसके दुश्मन आईएस को कमजोर किया गया है, और उसके मित्र ई. का साथ मिला है। लेकिन सीरिया को भी अपने देश में
  • शांति और स्थिरता लाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा, क्योंकि उसके देश में अभी भी कई विद्रोही समूहों और आतंकवादी संगठनों का अस्तित्व है, जो उसकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। सीरिया को अपने लोगों के बीच विश्वास और एकता को बढ़ाने के लिए भी प्रयास करना होगा, और अपने नुकसान को पूरा करने और अपने विकास को तेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता को स्वीकार करना होगा।
  • इराक: ई. के हमलों से इराक को भी बहुत नुकसान हुआ है, क्योंकि उसके कई नागरिक मारे गए हैं, और उसका एक महत्वपूर्ण शहर इरबील नुकसान उठाया है। इराक को अब अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कदम उठाने होंगे, और अपने देश में फैले आतंकवाद और दंगों को रोकने के लिए कार्रवाई करनी होगी। इराक को अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखने के लिए भी ध्यान देना होगा, और अपने अंतरराष्ट्रीय मित्रों के साथ अपनी भूमिका को सकारात्मक बनाने के लिए काम करने होंगे।
  • ई. के हमलों से इन देशों के बीच का माहौल बिगड़ गया है, और इससे इन देशों के लोगों को भी पीड़ित होना पड़ रहा है। इन देशों को अब अपने आपसी मतभेदों को दूर करने और अपने आपसी सहयोग और समझौते को बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी, ताकि वे अपने देशों को शांति और विकास की ओर ले जा सकें। इसके लिए उन्हें अपने अंतरराष्ट्रीय मित्रों और संगठनों की मदद लेनी होगी, जो उन्हें इस संकट से निकलने में सहायता कर सकें।
  • यह था ई. के हमलों के बारे में एक संक्षिप्त समाचार लेख, जिसमें इन हमलों के कारण और प्रभाव को बताया गया है। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा

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